शरीर की कोशिकाओं से ही बढ़ता है वायरस का झुंड, जानें ऐसा कैसे होता है?

शरीर की कोशिकाओं से ही बढ़ता है वायरस का झुंड, जानें ऐसा कैसे होता है?

सेहतराग टीम

एक बार वायरस हमारे शरीर में घुस जाए तो हमारी ही कोशिकाओं में अपना कुनबा बढ़ाने लगता है। कोशिकाओं में डीएनए के रुप में जेनेटिक तत्व होते है जो आरएनए बनाते है। वही आरएनए कोशिकाओं को ऐसे प्रोटीन बनाने के आदेश देते है,जो कोशिकाओं को चलाने के लिए जरुरी है।

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कोशिकाओं में पहुंचे वायरस को पढ़कर आरएनए उसके अनुसार भी प्रोटीन बनाने लगता है। फिर वह वायरस प्रोटीन वायरस के आरएनए को अपने जैसे ही प्रोटीन बनाने के लिए प्रेरित करने लगता है। यह कॉपी किया प्रोटीन हमारे शरीर के बड़े कोशिकाओं को हाइजेक करने लगता है। कोशिकाएं लड़ने का प्रयास करती हैं तो बाकी वायरस प्रोटीन उसे रोक देते है। कोशिकाओं के पूरी कार्यप्रणाली खत्म होने लगती है। उसकी उर्जा और प्रक्रिया वायरस को बनाने में ही खत्म होने लगती है।

चार इंच का वायरस तो कोशिकाएं 26 फीट

वायरस को अगर चार इंच का मानें तो मानव कोशिकाएं उसके लिए 26 फीट आकार की होगी। कोशिकाएं बाहरी हमले को रोकने की क्षमता रखती है। लेकिन एमोई रिसेप्टर प्रोटीन के जरिए वायरस उनमें प्रवेश कर जाता है। इसका काम हमारी हार्मोंन संवेदनशील को नियंत्रित रखना होता है। लेकिन कोरोना वायरस के प्रोटीन स्माइक किसी कांटे जैसा काम करते हुए इन रिसेप्टर से चिपक जाते  है। इसके बाद वायरस की सतह कोशिकाओं कि सतह से जुड़ जाती है और वायरस का आरएनए हमारी कोशिकाओं में पहुंच जाता है। यही वायरस का हमारे शरीर में असली प्रवेश भी है।

हम स्वस्थ महसूस करते रहते है दूसरों को बीमार बनाते जाते है

व्यक्ति खुद को स्वस्थ महसूस करता है। ऑफिस व सरकार से मिले निर्देशों के अनुसार घर से काम करता है। सामुदायिक दूरी बरतता है, किसी पंसदीदा टीवी सीरीज के कई सीजन लगातार देख डालता है। अंतत:  बोरियत भारी पड़ती है तो किसी और मित्र से मिलने चल देते है, या उसे अपने पास बुला लेते है। मित्र भी पूरी सावधानी बरतता है लेकिन वह भी नहीं जान पाता कि व्यक्ति संक्रमित है। नतीज, वह लाख सुरक्षा बरतने के बावजूद संक्रमित हो जाता है।

मानने को तैयार नहीं होता कि कोविड-19 पीड़ित है

इन सबके बावजूद व्यक्ति मानसिक रुप से मानने को तैयर नहीं होता कि वह कोविड19 रोग की चपट में आ चुका है। उसे लगता है कि न तो वह विदेश से लौट है, न तो किसी ऐसे व्यक्ति से मिला जो विदेश से आया हो। कुछ लोगों को थोड़ा आराम करने पर सामान्य महसूस होने लगता है। लेकिन 20 फीसदी लोग अज्ञात वजहों से भी बीमार हो जाते है। व्यक्ति भी इसी श्रेणी का है। कुछ दिन बात जब कंडिशन क्रिटीकल होती है तब वह डॉक्टर के पास पहुचता है, जहां उसे आइसोलेशन वार्ड में भेजा जाता है।

संक्रमित कोशिकाओं के मरने तक फैलते है वायरस

जो कोशिकाएं वायरस संक्रमित है, वो जब तक जीवित रहती है, तब तक वायरस को फैलाती रहती है। व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है तो कुछ दिनों में वह इस संक्रमण को महसूस करने लगती है और वायरस काम पर लग जाती है। वह काम यह होता है कि वह कोशिकाओं को नष्ट करने लगती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता की कोशिकाएं हमारी तरफ से लड़ती है। इस युद्ध की वजह से हमारे शरीर का तापमान बढ़ने लगता है। उसके बाद व्यक्ति बीमार होता है उसे सुखी खांसी और उसका तापमान 100 डिग्री के पार पहुंच जाता है।

 

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